Vol. 4, Issue 1 (2019)
नागार्जुन के उपन्यासों की भाषा का सामाजिक जीवन पर प्रभाव
Author(s): सीमा, डा0 दर्शना
Abstract: भाषा विचारों की वाहिका हे। भाषा की सशक्तता, गम्भीरता, सजीवता, अनुरूपता और विचार करने की क्षमता उपन्यास को सप्राण बनाने में सहायक होती है। उपन्यासकार जिस ढंग से अपने विचार ओर भावनाओं को व्यक्त करता है उसे शैली कहते हैं। शैली भाषा के माध्यम से भावों को अभिव्यक्त करने की शक्ति है। भाषा की गति प्रवाह व दिशा शैली ही है। उपन्यासकार हेनरी जेम्स ने एक स्थल पर कहा है कि जिस तरह स्वर से रहित होने पर संगीत अपूर्ण है, उसी प्रकार शैली के अभाव में कोई रचना असम्पूर्ण है।